अच्छाइयां ओर बुराईयां

 अच्छाइयां ओर बुराईय

         एक चौराहे पर तीन यात्री मिले तीनों के कंधे पर दो झोले आगे ओर पीछे लटके हुए थे। पहले यात्री ने अपनी पीछे के झोले में कुटुंबियों ओर उपकारी मित्रो की भालाईया भर रखी थी ओर सामने के झोले  के झोले में लोगो की बहुत सारी बुराइयां थी। पीछे के झोले पर उसकी नजर नहीं जाती थी ओर दूसरो कि बुराइयां उसके सामने थी वह सदा उन्हें देख कर चलता ओर मन ही मन कुढ़ता रहता।



          दूसरा यात्री ने अपने आगे के झोले में अपनी सारी अच्छाइयां लटकाई थी जिन्हें देख कर वह अपनी सराहना करता ओर बहुत खुश होता। पीछे के झोले में उसने अपनी बुराइयां लटकाई थी जिसपर उसकी कभी निगाह नहीं जाती थी। दूसरो को दिखाना नहीं चाहता था। पहले यात्री ने कहा- लेकिन दूसरो को तो तुम्हारी ये बुराइयां नजर आती है  तुम देखो या ना देखो। 

          दोनों यात्री ने तीसरे यात्री से पूछा के तुम्हारे इं आगे ओर पीछे के झोले में क्या है आगे का झोला तो काफी भारी दिख रहा है तो तीसरे यात्री ने जवाब दिया मेरे आगे के झोले में दूसरे लोगो की अच्छाइयों भलाइयों और गुणों को भर रखा है में इन्हे को सामने देख कर चलता हूं ओर मेरे पीछे के झोले में मैने दूसरो के बुराइयां भर रखी हे जिन्हें में कभी नहीं देखता ओर नीचे एक छेद कर रखा है जिससे वह बुराइयां गिर जाती है जिन्हे में भूल जाता हूं।

           उन दोनों यात्री ने कहा तुम इतना भोज लेकर क्यों चलते हो फेक दो इन्हे इससे कुछ नहीं होगा तो उसने जवाब दिया कि  इससे मुझे आगे बढ़ने का उत्साह मिलता ओर दूसरो के गुण नजर आते है जिससे मुझे काफी मदद मिलते है।

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