नासमझ भोला और मीठी सारंगी

                        नासमझ भोला और मीठी सारंगी 

           एक गाँव था । एक दिन उस गाँव में एक सारंगीवादक आया । वह बहुत अच्छी सारंगी बजाता था । रात्रि में जब उसने सारंगी बजाना शुरू किया , तो  गाँव के बहुत से लोग उसकी मीठी धुन सुनकर उसके चारों और एकत्रित हो गए । सारंगी की  मीठी धुन और सारंगी बजाने वाले की कला ने गांववालों को आश्चर्य में डाल दिया । 

            सभी लोग कहने लगे- " कितनी मीठी सारंगी है । वाह ! आनंद आ गया । " वहीं पास ही बैठा एक नवयुवक जिसका नाम भोला था , उनकी बातें सुन रहा था । 



           वह मन - ही - मन सोचने लगा , इन लोगों को सारंगी मीठी कैसे लगी , मेरा मुँह तो मीठा हुआ ही नहीं । जरूर ये लोग झूठ बोल रहे हैं । कुछ देर बाद उसने सोचा कि शायद सारंगी वाले के पास बैठने से मुंह मीठा हो जाए । अतः वह सारंगी वाले के पास जाकर बैठ रात्रि के दो - तीन बजे जब सारंगी वाले ने सारंगी बजाना बंद कर दिया तो लोगों ने कहा- " बाबा ! आपकी सारंगी बहुत ही मीठी है । हमें बड़ा ही आनंद आया । कृपया आप दो - चार दिन यहीं ठहर जाइए । गांव वालो की बात सुनकर भोला झुंझला उठा । वह सोचने लगा सब लोग झूठ तो नही बोल सकते । सारंगी मीठी तो जरूर है, सब लोगो को इसका स्वाद मीठा लग रहा है लेकिन न जाने क्यों मुझे मीठा नही लग रहा ।    

          रात बहुत हो गई थी तो अधिकांश लोग घर नहीं गए वही चोपाल पर ही सो गए । सारंगी वाले ने भी सारंगी पर खोली चढ़ाई और उसे अपने सिरहाने रखकर सो गया ।किंतु भोला को चैन कहां था । जब सब लोग गहरी नींद में सो गए तब उसने चुपके से सारंगी उठा ली और उसकी खोली उतारकर जीभ से चाटा । किंतु कुछ स्वाद नहीं आया  उसने सारंगी को खूब हिलाया उसके छेद को मुंह में उड़ेला लेकिन सारंगी से एक भी मीठी बूंद नहीं निकली ।

         वह लोगो की बेवकूफी पर बहुत झुंझलाया । उसने सारंगी को उठाकर गांव से बाहर दूर ले जाकर फेंक दिया । वह लोगो की बेवकूफी पर हंसता हुआ चुप चाप आकार सो गया । प्रात काल जब सारंगी नहीं मिली, तो गांव वाले और सारंगी वाला बड़े चिंतित हुए । लोग कहने लगे  बड़ी मीठी सारंगी थी पता नहीं कौन ले गया? भोला से अब रुका ना गया और गुस्से से बोला क्या खाक मीठी थी? मैंने तो उसे अच्छी तरह चाटा था उसमे जरा भी मिठास नहीं थी तुम सब लोग झूठ बोलते हो सारंगी में कोई मीठापन नहीं था ।

          लोगों ने पूछा पर सारंगी है कहा - उसने कहा गांव के बाहर पड़ी है, लोगों ने भोला कि नासमझी पर सिर पीट लिया ।

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