बुद्धिमान बहू













बुद्धिमान बहू
एक गांव में एक रमेश नाम का आदमी अपनी पत्नी और अपनी मां के साथ रहता था। रमेश की मां हमेशा से अपनी बहू को नापसंद करती थी।


     एक दिन रमेश की पत्नी बेसन के लड्डू बना रही थी। लड्डू देख रमेश की मां के मुंह में पानी आ गया। लेकिन वह नाटक ऐसा कर रही थी जैसे उसे लड्डू पसंद ही नहीं हो, रमेश काम से लौटा तो उसकी मां उसे देख कर झुटा नाटक करने लगी ओर रमेश से कहने लगी देखा बेटा तेरी पत्नी को मुझे मारने पर तुली है, देखो इसे पता है कि मुझे सुगर है फिर भी मेरे लिए लड्डू बना रही है।
      रमेश ने अपनी  पत्नी को थोड़ा डांटते हुए कहा मगर उसकी पत्नी ने उफ्फ भी नहीं किया ओर कहने लगी, अरे जी ये तो मेथी के लड्डू है मां के लिए बहुत फायदेमंद है।    
      रमेश की मां की यह तरकीब काम नहीं आई तो उसने अपनी बहन छोटी को बुला लिया जब छोटी आई तो रमेश की पत्नी ने उसका बहुत अच्छा स्वागत किया ओर उनके लिए गाजर का हलवा ओर पूरी बनाई यह देख मौसी बहुत खुश हुई।
       रात को जब रमेश की मां ओर मौसी बैठ कर बाते कर रही थी तो रमेश की मां ने मौसी को बताया के उन्होंने उसे क्यों बुलाया दोनों के बीच बातें हुई ओर उन्होंने बहू को घर से निकालने का प्लान बनाया।
       उनके घर में एक स्टोर रूम था जो हमेशा बंद रहता था ओर किसी को वहा जाने की अनुमति नहीं थी। सुबह मौसी रमेश की पत्नी के पास गई और बोली बेटा तुमरी सास के सपने में उनकी सास की आत्मा अयी थी ओर उन्होंने कहा कि, उन्हें तुम्हारा यहां रहना पसंद नहीं है ओर अगर तुम रमेश को ओर इस घर को छोड़ कर नहीं जाओगी तो वह तुम्हारी जान ले लेगी उनकी आत्मा स्टोर रूम ही रहती है ऐसा उन्होंने कहा था यह बोल कर मौसी चली गई।
       रात को जब रमेश आया तो उसकी पत्नी ने पूछा आ गए आप टिकट मिली क्या? यह सुनकर रमेश की मां ने पूछा कैसी टिकट, बहू तुम कहीं जा रही हो क्या, रमेश की पत्नी बोली में नहीं आप ओर मौसी जा रहे तीर्थ यात्रा पर ओर वी भी तीन महीने के लिए। यह सुन वह भौचक्की रह गई ओर मौसी ने हिकिचाते हुए कहा बेटा वो तुम, तुम्हारी जान, खतरा रमेश को सामने वह सही से बोल नहीं पाई।   
      रात को दोनों तीर्थ यात्रा की तैयारी कर रही थी तो मौसी ने कहा तेरी बहू तो बहुत बुद्धिमान है उसने हमारी चाल हम पर ही चल दी मगर एक बात तुझे माननी पड़ेगी कि उससे अच्छी ओर नेक बहू तुझे कहीं नहीं मिल सकती रमेश की मां को अपनी गलती का एहसास हो गया।
      इधर रमेश की पत्नी कमरे में बैठे सोच रही थी कि क्या होता अगर में उनकी वह बात नहीं सुनती तो, आज में डर्र से रमेश जी ओर इस घर को छोड़ कर चली जाती।

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