डिब्बा वाला
एक शहर में एक डिब्बा वाला रहता था वह बहुत गरीब था। वह लोगो के घर से नाश्ते के डिब्बे ओर खाने के डिब्बे लेकर उन्हें स्कूल, कारखानों ओर दुकानों पर पहुंचाने का काम करता था ओर एक डिब्बा पहुंचाने का दस रुपया लेता था ओर उससे अपने घर का खर्चा ओर अपने लड़के को अच्छे स्कूल में पढ़ाता था ओर अपने लड़के से कहता बेटा पढ़ लो वरना एक दिन मेरी तरह ये सब करना ना पड़े।
जिस स्कूल में डिब्बा वाला का लड़का पड़ता था उस स्कूल में भी वह डिब्बा पहुंचाता था। डिब्बा वाले के यह मेहनत देख उसके लड़के बहुत बुरा लगता ओर वो दिल लगा कर पढ़ता ताकि वह अच्छा व्यापार कर सके। एक दिन डिब्बा वाले के लड़के ने देखा कि बहुत तेज़ बारिश हो रही है लेकिन फिर भी उसके पिता डिब्बा पहुंचाने का काम कर रहे हैं उसे यह देख बहुत दुःख हुआ।
एक दिन डिब्बा वाला अपने कमरे में बैठा था तभी वहा उसका लड़का आ गया ओर कहने लगे पापा मुझे आपसे एक बात करनी हे, डिब्बे वाले ने कहा बोलो क्या बात है तो लड़के पापा आप इस तरह मेहनत करती हो क्यों ना आप एक पेपर पर लिखो के यह काम मिलता है ओर आप बहुत सारे लोगों को इकठ्ठा कर एक डिब्बे पहुंचाने का काम दूर दूर तक कर सकते है ओर उनसे कहना जो मुनाफा होगा उसमे से आधा उनका इस तरह लोगो को रोज़गार भी मिल जाएगा।
डिब्बा वाला के बेटे की यह तरकीब काम कर गई उन्होंने वैसा ही किया ओर धीरे धीरे उनका कारोबार पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गया ओर वह भी एक धनी व्यक्ति बन गया ओर अब उसका लड़का भी अपनी पढ़ाई अच्छे से करने लगा।
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