अंधेर नगरी 2
एक समय कि बात है। एक गुरु अपने दो शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे एक का नाम मदन और दूसरे का नाम मोहन था।
Andher nagri 2 Kahani in hindi |
चलते हुए तीनों ने कई गाव की यात्रा की थी। चलते चलते शाम हो गई और वह एक गांव की सीमा पर पहुंच गए गुरु जी ने गांव से बाहर टेंट लगाने को कहा और भोजन करके सो गए। सुबह हुई तो गुरुजी ने मदन से कहा जाओ तुम कुछ सब्जी खरीद कर ले आओ। मदन गांव कि तरफ निकल गया और वहा पहुंच कर उसने भाजी का भाव पूछा तो दुकानदार ने कहा कि- टका सेर फिर मदन ने पूछा और इस गांव का नाम तो दुकानदार जवाब दिया - अंधेर नगरी और यह के चौपट राजा।
मदन आगे बड़ा और उसने मिठाई का भाव पूछा तो उस दुकानदार ने भी यही जवाब दिया - टका सेर।
मदन समझ गया की इस गांव में हर चीज टका सेर बिकती है। उसने बहुत सामान खरीद लिया और गुरु जी के पास पहुंचा तो गुरुजी ने कहा इतना सब कहा से ले आए तो मदन ने कहा गुरुजी आपने जो पैसे दिए थे उस में से ये सब लाया हूं और कुछ पैसे बच भी गए है तो गुरुजी ने कहा इतना सब इतने कम रूपए में कैसे?
मदन ने कहा - यहां हर चीज टका सेर बिकती है। हम अपनी पूरी ज़िन्दगी यहां आराम से गुजार सकते है। अब हमे कहीं जाने की जरूरत नहीं है।
गुरु जी ने कहा - नहीं हम इस जगह नहीं रह सकते और तुरंत वहा से निकलने को कहा। मोहन तो चलने को तैयार था मगर मदन नहीं माना। गुरुजी के बहुत समझाने पर भी वह नहीं माना आखिर में गुरुजी ने उसी वहीं रहने को कहा और वो दोनों वहा से चले गए।
मदन यहां खा पीकर खूब मोटा हो रहा था।
एक दिन चौपट राजा का दरबार लगा था और एक आदमी गुहार लगा रहा था। महाराज सुमेर सिंह की दीवार गिर गई और मेरी बकरी दब के मर गई। मुझे न्याय मिले महाराज।
Andher nagri 2 |
राजा ने कहा - सुमेर सिंह बुलाओ। सुमेर सिंह, हाजिर हुआ तो राजा ने उससे कहा क्यों रे सुमेरा तूने ऐसी बकरी क्यों बनवाई कि बकरी गिर गई और दीवार दब के मर गई।
मंत्री थोड़ा समझदार था तो उसने कहा - महाराज दीवार गिर गई और बकरी दब के मर गई।
सुमेर सिंह ने कहा - महाराज इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मिस्त्री ने दीवार ही इतनी कमजोर बनाई के दीवार गिर गई और बकरी दब के मर गई।
राजा ने कहा - मिस्त्री को बुलाओ, मिस्त्री आया तो राजा ने उससे पूछा क्यों री मिस्त्री तूने ऐसी दीवार क्यों बनाई की दीवार गिर गई और सुमेरा दब के मर गई।
मंत्री बोला - महाराज दीवार गिर गई और बकरी दब के मर गई।
मिस्त्री बोला - महाराज में क्या करता मोची ने मशक इतनी बड़ी बना दी कि उसमे पानी ज़्यादा आ गया और दीवार कमजोर हो गई।
राजा ना कहा - मोची को बुलाओ, मोची आया तो राजा ने उससे पुछा कि क्यों र मोची तूने ऐसी मशक क्यों बनाई की उसमे पानी ज़्यादा आ गया और मिस्त्री गिर गया और सुमेरा दब के मर गई।
मंत्री फिर बोला - महाराज दीवार गिर गई और बकरी दब के मर गई।
मोची ने कहा - महाराज में क्या करता उस समय कोतवाल जी की सवारी निकल रही थी इसलिए मशक बड़ी बन गई।
राजा बोला - कोतवाल को बुलाओ, कोतवाल आया तो राजा ने उससे कहा क्यों र कोतवाल तूने ऐसी सवारी क्यों निकाली की मोची से मशक बड़ी बन गई और सब डूब के मर गए।
कोतवाल बोला - महाराज मुझे छमा करे में अपने दफ्तर जा रहा था।
महाराज ने उसे फांसी का हुक्म दे दिया जब जल्लाद ने उसे फांसी पर चढ़ाया तो उसकी गर्दन पतली होने के कारण वह उसे फांसी ना दे सका और महाराज से कहा तो राजा ने कहा इसकी जगह किसी मोटे इंसान को लटका दो।
सब एक मोटे आदमी की तलाश में निकल गए और उन्हें मदन मिल गया और वह उसे पकड़कर ले गए।
उसे फांसी पर चढ़ाया ही जा रहा था तभी वहा गुरुजी और मोहन आ गए और मदन के कान में कुछ कहा तो मदन ने खुश होकर कहा में फांसी पर चढ़ने को तेयार हूं।
तभी राजा ने पूछा तुम इतने खुश क्यों हो ? तो गुरुजी ने जवाब दिया महाराज यह बहुत शुभ समय है इस समय जो फांसी पर चढ़ेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।
इतना सुनते ही कोतवाल बोला में फांसी पर चढ़ूंगा सारा कसूर मेरा इस तरह सब के बीच लड़ाई होने लगी तभी राजा बोला फांसी पर हम चढ़ेंगे स्वर्ग जाने का अधिकार पहले हमारा है। राजा को फांसी पर चढ़ाने में जल्लाद के हाथ कांप रहे थे तो राजा ने हुक्म दिया और उसने फांसी दे दी इस तरह मदन को गुरुजी ने बचा लिया।
Andher nagri choupat raja |
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